Dr Satyavrat Siddhantalankar
डॉ सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार
वैदिक धर्म, सभ्यता तथा आर्य संस्कति की हृदयग्राही विवेचना-विश्लेषण करने वाले पं. सत्यव्रत की प्रतिभा बहुमुखी थी। पं. सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार एक ऐसे ही बहुआयामी प्रतिभा के धनी लेखक थे, जिन्होंने विभिन्न विषयों पर अपनी लेखनी चला कर साहित्य भण्डार को समृद्ध किया। हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उन्होंने उत्कृष्ट ग्रन्थों का प्रणयन किया है।
पं. सत्यव्रत जी का जन्म 5 मार्च, सन् 1898 ई0 को लुधियाना जिले के सबद्दी ग्राम में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 15 जून 1926 को उनका विवाह बिजनौर जिले के एक आर्य परिवार की विदुषी कन्या श्रीमती चन्द्रावतीजी से हुआ। वे सुयोग्य लेखिका भी थीं। सत्यव्रत जी ने जब गुरुकुल कांगड़ी में कार्य आरम्भ किया तो वे वहां उपाध्याय, मुख्याधिष्ठाता तथा कुलपति के पदों पर रहे।