Pt. Kshemkarandas Trivedi
पण्डित क्षेमकरणदास
पं. क्षेमकरणदास त्रिवेदी का जन्म 3 नवम्बर 1848 को अलीगढ़ जिले के शाहपुर ग्राम में लाला कुंदनलाल सक्सेना के यहां हुआ। आपका आरम्भिक अध्ययन फारसी में हुआ और 1857 के विद्रोह के शान्त होने पर आप अलीगढ़ के अंग्रेजी स्कूल में प्रविष्ट हुए। 1871 में आपने कलकत्ता विश्वविद्यालय की एन्ट्रेंस परीक्षा पास की। 1872 में अध्यापक बने और मुरादाबाद में नियुक्त हुए। यहाँ पर उन्हें 1877 में स्वामी दयानन्द के दर्शन का सोभाग्य मिला।
स्वामीजी ने उन्हें कुछ दिनों तक संस्कृत पढ़ाई तथा उनसे यह आश्वासन ले लिया कि भावी जीवन में वे संस्कृत का विशद अध्ययन कर वेद भाष्य का लेखन करेंगे। कालान्तर में जब वे जोधपुर रहे तो वहाँ स्वामी अच्युतानन्दजी तथा पं. लालचन्द्र विद्याभास्कर से व्याकरण तथा निरुक्त का अध्ययन किया।
1911 में उन्होंने ऋग्वेद तथा अथर्ववेद की परीक्षाएं उत्तीर्ण की। सामवेद की परीक्षा वे पहले ही उत्तीर्ण कर चुके थे। इस प्रकार तीन वेदों में व्युत्पन्नता प्राप्त करने के कारण उन्हें 'त्रिवेदी की उपाधि प्रदान की गई। आर्यसमाज के विद्वानों में सर्वप्रथम पं. क्षेमकरणदास त्रिवेदीजी ने ही अथर्ववेद का भाष्य लिखा। अथर्ववेद का संपूर्ण भाष्य 1912 से प्रारम्भ होकर 1921 में समाप्त हुआ।
प्रौढ़ावस्था में संस्कृत पढ़ना और वेद भाष्य करना पं. क्षेमकरणदास त्रिवेदीजी का दृढ़ निश्चयात्मक वृत्ति दर्शाता है। 13 फरवरी 1939 को आपका निधन हुआ।