Pt. Tulsiram Swami
पण्डित तुलसीराम स्वामी
आर्यसमाज में अद्वितीय विद्वान् साहित्यकार तथा शास्त्रार्थी विद्वान पं. तुलसीराम स्वामी का जन्म जेष्ठ शुक्ला ३ शुक्रवार सं. १९२४ वि. में परीक्षितगढ़ जिला मेरठ के पं. हजारीलाल स्वामी के घर हुआ। १९४० वि. में ऋषि दयानन्द रचित सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, वेदांगप्रकाश आदि ग्रन्थों का अध्ययन कर आर्यसमाज की ओर झुके। पुनः १९४१ में देहरादून जाकर पं. युगल किशोर से अष्टाध्यायी, महाभाष्य आदि व्याकरण के आर्ष ग्रन्थ पढ़े। स्वामी दयानन्द के ग्रन्थों के वैतनिक लेखक पं. दिनेशराम से कुछ समय तक पढ़े । मेरठ के पं. घासीरामजी के सम्पर्क में आकर तुलसीरामजी ने विधिवत आर्यसमाज की सदस्यता स्वीकार की। १८८७ ई० में आर्य प्रतिनिधि सभा पश्चिमोत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के संगठन में योग दिया।
मेरठ में आपने १९५५ वि. में स्वामी प्रेस की स्थापना की। १८९७ ई. से 'वेदप्रकाश' नामक मासिक पत्र प्रकाशित करना प्रारम्भ किया। १९०९ से १९१३ तक आप उत्तरप्रदेश आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान भी रहे। अपने जीवन के अन्तिम काल में गुरुकूल वृन्दावन में अध्यापन का कार्य किया। १७ जुलाई १९१५ को विशूचिका रोग से आपका असामयिक निधन हो गया।
पं. तुलसीराम स्वामी ने जो महत्त्वपूर्ण साहित्य लिखा है उसकी एक प्रकार है-
१. सामवेद भाष्य,
२. श्वेताश्वतरोपनिषद संस्कृत भाष्य,
३. भास्कर प्रकाश (दयानन्द तिमिर भास्कर का उत्तर),
४. दिवाकर प्रकाश
५. मनुस्मृति भाष्य,
६. षड्दर्शन भाष्य,
७. गीता भाष्य,
८. संस्कृत भाषा ४ भाग
९. विदुरनीति भाषानुवाद,
१०. मूर्तिपूजा प्रकाश' समीक्षा,
११. पिण्डपितृ यज्ञ.
१२. भीमप्रश्नोत्तरी,
१३. संध्या,
१४. पं. तुलसीराम स्वामी के चार व्याख्यान।