इस व्याख्या की विशेषता यह है कि इसमें गुरुदत्त विद्यार्थी द्वारा उपनिषद् के व्यवहारिक पक्ष को प्रस्तुत किया गया है जिससे कि हम उपनिषद् के दिए गए सन्देश का न केवल आध्यात्मिक जीवन में लाभ उठा सकते हैं बल्कि उसे सामान्य व्यवहार में लाकर अपने जीवन को उपयोगी बना सकते हैं, धर्म के वास्तविक स्वरूप को जान सकते हैं व उसे व्यवहार में ला सकते हैं। इसकी भाषा थोड़ी कठिन है क्योंकि गुरुदत्त विद्यार्थी अत्यन्त प्रतिभा के धनी थे। इसलिए इस व्याख्या को समझने में थोड़ा परिश्रम करना पड़ता है व कई बार अध्ययन आवश्यक है। लेकिन एक बार समझ में आने के बाद यह हमारे लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता है। ईशोपनिषद् हमारे आर्ष ग्रन्थों में एक उच्च कोटि का ग्रन्थ है अतः इसका समझना, जानना व जीवन में धारण कर उपयोगी बनाना हमारे लिए अत्यन्त आवश्यक व उपयोगी है। और इस कार्य में पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी की यह व्याख्या हमारे लिए सहायक सिद्ध होगी।