सत्यार्थ प्रकाश ऋषि दयानन्द की वह अमर कृति है, जिसे ऋषि के स्वाध्याय के ३००० ग्रन्थों का सार कहा जा सकता है। सत्यार्थ प्रकाश वेद और वैदिक सद्धर्म की कुंजी है। न जाने कितने भूले-भटके मानवों को वेद के राजपथ पर लाकर खड़ा करने का श्रेय इस पावन ग्रन्थ को है। अब तक विश्व की अनेक भाषाओं में इस दिव्य ग्रन्थ का अनुवाद एवं प्रकाशन हो चुका है। देश और विदेश के शत-शत मूर्धन्य व्यक्तित्वों ने इस पावन ग्रन्थ की भूरि भूरि प्रशंसा की है।
इस ग्रन्थ-रत्न का सन्देश राष्ट्र की नई पीढ़ी बालक और युवकों के साथ ही कम शिक्षित जनों तक भी पहुंच सके इस विचार से हमारे निर्देशन में स्वर्गीय प्रिय वेदप्रकाश सुमन' ने बड़े परिश्रम से इस सरल बाल सत्यार्थ प्रकाश' का प्रणयन किया। इस प्रकार के प्रयास और भी हुए हैं किन्तु बाल मनोविज्ञान के आधार पर कथात्मक शैली एवं भाषा की सरलता इसकी विशेषताएं हैं।