Pt. Shivshankar Sharma Kavyateertha
पण्डित शिवशंकर शर्मा काव्यतीर्थ
मिथिला प्रान्त सदा से ही संस्कृत विद्वानों की जन्मभमि रक्षा प्रदेश के दरभंगा जिले के चिहुंटा ग्राम में पं. शिवशंकर का जन्म या इनके गुरु संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान् 'शिवराज विजय' जैसे उत्कृष्ट गद्य ग्रन्थ के लेखक पं. अम्बिकादत्त व्यास थे जो अपने युग के प्रसिद्ध पौराणिक उपदेशक तथा व्याख्याता थे । पौराणिक गुरु के शिष्य होते हुये भी शिवशंकर के मन में आर्यसमाज के प्रति श्रद्धा एवं विश्वास के अंकुर प्रस्फुटित हुये जिसके फलस्वरूप उन्होंने महर्षि दयानन्द का साहित्य पढ़ कर अपने आपको वैदिक धर्म के प्रचार हेतु समर्पित कर दिया। मिथिला जैसे पुराणपन्थी पौराणिक गढ़ में पं. शिवशंकरजी का विरोध होना स्वाभाविक ही था। अतः उन्होंने बिहार को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। १८९८ से १९०० तक रांची में रह कर आपने वहाँ के आर्य नेता बाब बालकृष्णसहाय के साथ वा धर्म का प्रचार कार्य किया । यहाँ रहते हये आपने 'आर्यावर्त' पत्र में अनेक संद्धान्तिक लेख लिखे।
बिहार से चल कर १९०३ में पण्डितजी अजमेर आये तथा दयानन्द की स्थानापन्न परोपकारिणी सभा के तत्त्वाधान में कार्य करते रहे। राजस्थान को केंद्र बना कर आपने मध्यभारत तथा गुजरात राज्य में कार्य किया। इसी बीच आपने छान्दोग्य और बृहदारण्यक उपनिषदों के संस्कृत तथा हिन्दी में बृहत् भाष्य लिखे। १९०६ में पं. शिवशंकर जी पंजाब चले गये तथा आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के अन्तर्गत उपदेशक का कार्य करने लगे।
१९६६ के आस पास पं शिवशंकर शर्मा जी गुरुकुल कांगड़ी में वेदोपाध्याय के पद पर कार्य करते रहे।