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आर्याभिविनयः
Aryaabhivinay
By : Swami Dayanand Saraswati In : Hindiमहर्षि ने 'आयाभिविनय' नामक लघु ग्रन्थ द्वारा ईश्वर के स्वरूप का ज्ञान कराया है। वेदों के मूल मन्त्रों का हिन्दी भाषा में व्याख्यान करके ईश्वर के स्वरूप का बोध कराया है। ईश्वर के स्वरूप के साथ-साथ परमेश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना तथा धर्मादि विषयों का भी वर्णन है।
इस ग्रन्थ में केवल दो वेदों ऋग्वेद (५३ मन्त्र) और यजुर्वेद (५४ मन्त्र) से ही मन्त्र लिये गये हैं। इसके अतिरिक्त एक मन्त्र तैत्तिरीय आरण्यक का भी है। मन्त्रों का परमेश्वर सम्बन्धी एक प्रकार का ही अर्थ (वह भी संक्षेप में) किया है। अन्यथा ग्रन्थ का आकार बढ़ जाता। ऋषि दयानन्द के शब्दों में "इस ग्रन्थ से तो केवल मनुष्यों को ईश्वर
का स्वरूप ज्ञान और भक्ति, धर्मनिष्ठा, व्यवहार शुद्धि इत्यादि प्रयोजन सिद्ध होंगे, जिससे नास्तिक और पाखण्ड मतादि अधर्म में मनुष्य न फँसे।" (आर्याभिविनय की उपक्रमणिका से उद्धृत)
इस ग्रन्थ में दो अध्याय हैं, जिनका नाम 'प्रकाश' दिया गया है। पहले प्रकाश में ऋग्वेद से तथा द्वितीय प्रकाश में यजुर्वेद से मन्त्र लिये गये हैं। कुल १०८ मन्त्रों का व्याख्यान है। पहले प्रकाश में ५३ और द्वितीय प्रकाश में ५५ मन्त्रों की व्याख्या है।
विक्रमी संवत् १९३२, मिति चैत्र शुक्ला १०, गुरुवार के दिन महर्षि ने इस ग्रन्थ का लेखन प्रारम्भ किया था। महर्षि के एक पत्र (श्री गोपालराव हरि देशमुख को संवत् १९३२, चैत्र बदी ९, शनिवार को लिखे) से स्पष्ट ज्ञात होता है कि वे इस पुस्तक के चार अध्याय और बनाना चाहते थे। सम्भवतः इनमें सभी वेदों से मन्त्र लेते, परन्तु किसी कारणवश यह ग्रन्थ अपूर्ण रहा। पुस्तक में मूल मन्त्रों के अर्थ और व्याख्या हिन्दी भाषा में है।
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Title : आर्याभिविनयः
Sub Title : N/A
Series Title : दयानन्द ग्रन्थमाला
Language : Hindi
Category :
Subject : वैदिक मन्त्र
Author 1 : स्वामी दयानन्द सरस्वती
Author 2 : N/A
Translator : N/A
Editor : N/A
Commentator : N/A
Publisher : Vedic Pustakalay
Edition : 4th
Publish Year : 2016
Publish City : Ajmer
ISBN # : N/A
https://vediclibrary.in/book/aryaabhivinay