'हनुमानादि वानर थे या मनुष्य'-यह एक विवादग्रस्त प्रश्न है। लेखक ने वाल्मीकीय रामायण के शतशः प्रमाण देकर यह सिद्ध कर दिया है कि हनुमानादि जंगली बन्दर नहीं थे, अपितु सभ्य मनुष्य ही थे। उनका रहन-सहन, रीति-रिवाज, राज्य-संचालन, वस्त्र-परिधान, वेद एवं व्याकरण का अध्ययन, सन्ध्योपासन, यज्ञोपवीतधारण, भवन-निर्माण का कौशल ग्रादि सभी बातें उन्हें मनुष्य सिद्ध करती हैं।
इस पुस्तक के अध्ययन से उन लोगों की भ्रान्ति अवश्य दूर हो जाएगी, जो उन्हें बन्दर समझते हैं।