'भारतवर्ष का बृहद् इतिहास' में पं० भगवद्दत्त जी ने एक अध्याय 'भारतीय इतिहास की विकृतियाँ' लिखा है। पण्डित जी के मित्रों और प्रशंसकों ने आग्रह किया कि इस अध्याय को विस्तृत रूप देकर अंग्रेजी में ट्रैक्ट के रूप में छापा जाय। पण्डित जी ने उनके आग्रह को स्वीकार करके Western Indologists : A Study in Motives' नामक ट्रैक्ट का प्रकाशन किया। इस ट्रैक्ट का हिन्दी अनुवाद ब्र० देवदत्त आर्य ने किया तथा उसका संशोधन करके सम्पादित रूप पाणिनि महाविद्यालय (बहालगढ़, सोनीपत) के आचार्य डॉ. विजयपाल विद्यावारिधि ने पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया। 'वैदिक पथ' के सुधी पाठकों की सेवा में हम इसे प्रकाशित कर रहे हैं, जिससे वे भारतीयविद्याविद्-पश्चिमी विद्वानों के उद्देश्यों से भलीभाँति अवगत हो सकें- सम्पादक