हम ने इस संग्रह का नाम वैदिककोष रखा है। सम्भव है अनेक विद्वान् प्रश्न करें कि यह वेदान्तर्गत प्रत्येक शब्द का कोष तो है नहीं, पुनः इसका ऐसा नाम क्यों? हमारा विचार है कि जैसे यास्कीय-निघंटु वैदिककोष कहा जाता है, वैसे यह बृहत्संग्रह भी वैदिककोषकहला सकता है। विशेषता इसमें यह है कि इस में निर्वचनादि का संग्रह होने से निरूक्तादि का भी मूल कहा जा सकता है।