भारतीय सरकार के इण्डियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (1.A.S.) ट्रेनिंग स्कूल में पाँच वर्ष तक मुझे भारतीयसंस्कृति पर व्याख्यान देने का अवसर मिला । अगले पृष्ठ उन्हीं व्याख्यानों का हिन्दी में संक्षेप हैं । चिर-काल से मेरा अनुभव हो रहा था कि योरोपीय लेखकों ने भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास का जो ढांचा खड़ा किया है, वह तर्क, विज्ञान और यथार्थ-इतिहास की कसौटी पर पूरा नहीं उतरता । अतः मैंने परम्परागत सर्वस्वीकृत-काल-क्रमानुसार भारतीय इतिहास और उस के विभिन्न अङ्गों का पढ़ना प्रारम्भ कर कर दिया। गत चालीस वर्ष के अविश्रान्त-परिश्रम ने इसी मार्ग को ठीक पाया । फलतः यह इतिहास उसी मार्ग पर चल कर लिखा गया है।